Uttarakhand News: गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड की झांकी को मिला तीसरा स्थान

खबर शेयर करें

नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस की परेड में उत्तराखंड की झांकी तीसरे स्थान पर रही है। यह झांकी ‘सांस्कृतिक धरोहर और साहसिक खेल’ पर आधारित थी। उत्तराखंड की झांकी को यह स्थान लोगों के वोटों के आधार पर मिला है। वहीं, गुजरात की ‘स्वर्णिम भारत: विकास और विरासत’ पर आधारित झांकी ने पहला स्थान हासिल किया। उत्तर प्रदेश की झांकी ‘महाकुंभ 2025: स्वर्णिम भारत विकास और विरासत’ने दूसरा स्थान प्राप्त किया।

उत्तराखंड की झांकी के दूसरे भाग में राज्य की प्रसिद्ध ऐपण कला को बनाते हुए एक पारंपरिक वेशभूषा में महिला को दिखाया गया था। यह ऐपण कला आज विश्वभर में प्रसिद्ध है। ऐपण कला उत्तराखंड की सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को दर्शाती है। इस कला को उत्तराखंडी महिलाएं पूजा कक्षों, घरों के प्रवेशद्वारों, फर्श और दीवारों पर बनाती हैं। इसे बनाने के लिए चावल का आटा व गेरू का उपयोग किया जाता है।

यह भी पढ़ें 👉  UP News: सीएम योगी आदित्यनाथ के गुरु भाई महंत शांति नाथ का निधन

उत्तर प्रदेश की महाकुंभ वाली झांकी

कर्तव्य पथ पर उत्तर प्रदेश की महाकुंभ वाली झांकी ने सबका मन मोह लिया था। झांकी में समुद्र मंथन और कलश से निकलते अमृत को दिखाया गया। देवता और राक्षसों में मंथन को दिखाया गया। साथ ही ऋषि-मुनियों की मूर्तियां भी झांकी में देखने को मिली। परेड में 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झाकियां निकाली गईं, जबकि विभिन्न विभागों और मंत्रालयों को भी झांकियों में स्थान मिला था।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड: निकाय चुनाव के बीच कांग्रेस को लगा बड़ा झटका , इस वरिष्ठ नेता ने छोड़ी पार्टी

गुजरात की झांकी

गुजरात की झांकी में 12वीं सदी के वडनगर यानी आनर्तपुर के सोलंकी कालीन ‘कीर्ति तोरण’ से लेकर 21वीं सदी का अजूबा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ की सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ रक्षा, टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में राज्य की ‘आत्मनिर्भरता’ को प्रदर्शित करती विभिन्न विकास परियोजनाओं का प्रभावशाली निदर्शन किया गया था। राज्य की झांकी के अगले हिस्से में सोलंकी काल में निर्मित वडनगर स्थित 12वीं सदी का गुजरात का सांस्कृतिक प्रवेशद्वार कहा जाने वाला ‘कीर्ति तोरण’, जबकि अंत में 21वीं सदी की शान, 182 मीटर ऊंची सरदार पटेल की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को दर्शाया गया, जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। इन दोनों विरासतों के बीच गुजरात में रक्षा, टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत गुजरात की विभिन्न परियोजनाओं को दर्शाया गया था।