मां बगलामुखी उपासना से मिलती है शत्रु भय से मुक्ति और वाकसिद्धि: सत्य साधक गुरुजी

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लखनऊ। जय मां पीतांबरी साधना एवं दिव्य योग ट्रस्ट के संस्थापक सत्य साधक श्री विजेंद्र पांडे गुरु जी ने मां बगलामुखी की महिमा का बखान करते हुए कहा कि
दस महाविद्याओं में मां बगलामुखी जी आठवीं महाविद्या हैं। इनकी उपासना शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद-विवाद में सफलता के लिए की जाती है। इनकी उपासना से जहां एक ओर शत्रुओं का नाश होता है तो वहीं दूसरी ओर इनकी उपासना जातक के जीवन को निष्कंटक बनाने का काम करती है।
गुरुजी ने कहा कि देवी की पूजा मंगलवार, बुधवार व शनिवार के दिन विशेष मानी जाती है, वहीं ये भी मान्यता है कि किसी सामान्य कार्य के लिए 10000 और असाध्य दिखने वाले कार्य के लिए माई के एक लाख मंत्रों का जाप करना उचित माना जाता है। इसके अतिरिक्त बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ भी जरूर करना चाहिए।
इसके साथ ही ये भी माना जाता है कि व्यष्टि रूप में शत्रुओं को नष्ट करने की इच्छा रखने वाली शक्ति ही बगला है। पितांबराविद्या के नाम से विख्यात बगलामुखी की साधना प्राय: शत्रु के भय से मुक्ति और वाकसिद्धि प्राप्त करने के लिए की जाती है। इनकी उपासना में हल्दी की माला, पीले फूल और पीले वस्त्रों का विधान है। इनका द्विभुज चित्रण अधिक आम है और सौम्या के रूप में वर्णित हैं।
गुरु जी ने दैवी आपदाओं , असाध्य रोग और कोर्ट कचहरी के मुकदमों में भी मां बगलामुखी की साधना का विशेष महत्व है। मां के सिमरन मात्र से भर संकट में बसे जीव को भी तुरंत राहत मिलती है।