श्रावस्ती। गुप्त नवरात्रि के पावन अवसर पर सत्य साधक श्री विजेंद्र पांडे गुरुजी श्रावस्ती जिले के पावन राप्ती नदी के तट पर मां बगलामुखी साधना में लीन हैं। गुरु जी द्वारा लोक कल्याण की कामना को लेकर नदी के तट पर रात्रिकालीन साधना के साथ ही रोजाना मां बगलामुखी हवन का आयोजन किया जा रहा है। गुप्त नवरात्रि के प्रारंभ होने के अवसर 30 जनवरी से शुरू हुई साधना का 7 फरवरी को मां बगलामुखी महायज्ञ के उपरांत समापन होगा।
इस दौरान गुरु जी ने मां की महिमा का बखान करते हुए कहा कि देवी शक्ति साक्षात ब्रह्म-अस्त्र हैं, जिसका संधान त्रिभुवन में किसी के द्वारा संभव नहीं हैं। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश देवी बगलामुखी में हैं।
देवी बगलामुखी, समुद्र के मध्य में स्थित मणिमय द्वीप में अमूल्य रत्नों से सुसज्जित सिंहासन पर अवस्थित हैं। त्रिनेत्रा हैं, मस्तक पर अर्ध चन्द्र धारण हैं, पीला वर्ण है, पीले वस्त्र तथा पीले फूलों की माला धारण की हुई है। देवी ने अपने बायें हाथ से शत्रु या दैत्य के जिह्वा को पकड़ कर खींच रखा है तथा दाएं हाथ से गदा उठाये हुए हैं। कई स्थानों में देवी ने मृत शरीर या शव को अपना आसन बना रखा हैं। देवी वचन या बोल-चाल से गलतियों तथा अशुद्धियों को निकल कर सही करती हैं। यानी उनकी आराधना करने वाले का उच्चारण दोष समाप्त हो जाता है। गुरु जी ने कहा मां की आराधना से सभी प्रकार के दोषों का शमन हो जाता है।